Amiri ka shauk
नए-नए रईस हुए एक साहब को लोगों के ऊपर अपनी अमीरी का रौब झाड़ने का शौक चर्राया.
एक रोज उनके घर मेहमान आने वाले थे तो उन्होंने अपने नौकर को बुलाकर समझाया – “मेहमान के सामने मैं किसी भी चीज़ को तलब करूँ तो उसकी 2-3 किस्मों के नाम लेना ताकि उस पर रौब पड़े … समझ गए !”
नौकर – “समझ गया हुजूर … ”
अगले रोज मेहमान आ गए. साहब ने नौकर से कहा – “ठाकुर साहब के लिए शरबत लाओ …”
नौकर बोला – “हुज़ूर, कौनसा शरबत लेंगे, खस का, केवड़े का या बादाम का … !”
नौकर की समझदारी पर साहब मन ही मन खुश होते हुए बोले – “केवड़े का ले आओ … ”
फिर थोड़ी देर बाद -
साहब – “ठाकुर साहब के लिए खाना लगवाओ … ”
नौकर – “हुज़ूर, कौनसा खाना खायेंगे … इंडियन, कांटिनेंटल या चाइनीज ?”
खाने के बाद -
साहब – “पान ले आओ … ”
नौकर – “कौनसा पान हुज़ूर … लखनवीi, मुरादाबादी या बनारसी … ”
फिर थोड़ी देर बाद शहर घूमने का प्रोग्राम बन गया.
साहब – “हमारी गाड़ी निकलवाओ … ”
नौकर – “कौनसी गाड़ी हुज़ूर … सफारी, स्कोर्पियो या होंडा सिटी ?”
साहब – “सफारी निकलवाओ … और सुनो हमारे पिताजी से कह देना कि हम ज़रा देर से आयेंगे … ”
नौकर – “कौनसे पिताजी से कहूँ हुज़ूर … आगरा वाले, दिल्ली वाले या चंडीगढ़ वाले ?”..
Submitted By: Shiv Charan on 15 -Oct-2014 | View: 965
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