तुम नई मारुति लगती हो !!
तुम एमए फर्स्ट डिवीज़न हो, मैं हुआ था मैट्रिक फेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, यह प्यार नहीं है खेल प्रिये…
तुम फौजी अफसर की बेटी, मैं तो किसान का बेटा हूं,
तुम रबड़ी-खीर-मलाई हो, मैं तो सत्तू सपरेटा हूं…
तुम एसी घर में रहती हो, मैं पेड़ के नीचे लेटा हूं,
तुम नई मारुति लगती हो, मैं स्कूटर लम्बरेटा हूं…
इस कदर अगर हम छिप-छिपकर आपस में प्रेम बढ़ाएंगे,
तो एक रोज़ तेरे डैडी अमरीश पुरी बन जाएंगे…
सब हड्डी-पसली तोड़ मुझे वह भिजवा देंगे जेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, यह प्यार नहीं है खेल प्रिये…
तुम अरब देश की घोड़ी हो, मैं हूं गदहे की चाल प्रिये,
तुम दीवाली का बोनस हो, मैं भूखों की हड़ताल प्रिये…
तुम हीरे-जड़ी तश्तरी हो, मैं एल्मुनियम का थाल प्रिये,
तुम चिकन-सूप-बिरयानी हो, मैं कंकड़ वाली दाल प्रिये…
तुम हिरन चौकड़ी भरती हो, मैं हूं कछुए की चाल प्रिये,
तुम चंदन वन की लकड़ी हो, मैं हूं बबूल की छाल प्रिये…
मैं पके आम-सा लटका हूं, मत मारो मुझे गुलेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, यह प्यार नहीं है खेल प्रिये…
From:
http://hasyakavita.jagranjunction.com/
Submitted By: Shiv Charan on 04 -Apr-2015 | View: 2922
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