Naye saal mein By deepak kumar deep
अमन चैन की पवन चले और
धरती पर खुशहाली आये
खिला रहे यूँ हर एक गुलशन
कली कोई न मुरझा पाये.
सांस लें सकें सभी चैन की
ग़मों के बादल न मंडरायें
अभिशाप बने न कर्म हमारा
छोड़ पाप को पुण्य कमायें.
मिलकर रहेंगें हम सब सारे
पल ! चाहे जैसा भी आये
घृणा वैर और नफरत तज के
ह्रदय में भी प्रेम बसायें.
साथ न जाना कुछ भी यारों
महल हो जितना आलिशान
सदा रहा न कोई यहाँ पर
रंक हो चाहे या सुल्तान.
मौत तो है एक कड़वी गोली
जो सभी को खानी पड़ती है
लगता सुना सारा जहाँ फिर
क्यों व्यर्थ में झगड़ा करती है.
अपने बन जाते हैं बेगाने
जिन्हें भी अपना कहते हैं
भूल के गम वो मौत का तेरे
गिद्धा, भांगड़ा करते हैं.
नये साल में नयी उमंग हो
न तंगदिली बदहाली आये
भरे रहें भंडारे सबके
सभी दिवाली ईद मनायें.
न हो कोई आतंकी हमला
अपने हों या हों बेगाने
चमन न उजड़े किसी के घर का
गायें ख़ुशी के सभी तराने.
तजके दूरी दिलों से अपने
मानवता का फ़र्ज़ निभायें.
\'दीप\' भुलाकर भेद भाव को
सभी को अपने गले लगायें.
Happy new year 2013
Writer
Deepak kumar \"deep\"
Delhi
Submitted By: deepak on 22 -Dec-2012 | View: 4139
|