मुझे माँ की याद आती है
कितनी कठिन डगर से गुजर कर,
मुश्किल भरे राहों पर चलकर,
ममता भरी आँचल की छाँव में,
एक नन्ही सी जान को निहारती है |
इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में,
मुझे माँ की याद आती है |
नौ माह का कष्ट झेलकर,
मुझे रंगीन दुनिया में लाकर,
अपने सीने से मुझे लगाकर,
कितना दुःख झेलती है |
खुद दुखों के घेरे में पड़कर,
मुझे सुकून से सुलाती है |
ममतामयी माँ की गोद,
आज फिर मुझे याद आती है |
आँगन में किलकारियों के साथ,
घुटनों के बल चलकर,
माँ की ऊँगली पकडे हुए,
धीरे धीरे से लड्खडाकर
अपना दुःख दर्द भुलाकर,
ख़ुशी से पुचकारती है |
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में,
पहाडों की पगडंडियों पर,
गिर पड़कर चलना सिखाया,
स्कूल के दिनों में भी,
कम न थी ममता की छाया,
किताबों के संग चलकर,
जीने का पाठ पढ़ाती है |
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में,
मुझे माँ की याद आती है |
दिन भर काम के भोझ तले,
धुप छाँव की परवाह न कर,
सुबह से शाम तक खेतों में,
काम से थक हारकर,
मुझे भरपेट खाना खिलाकर,
खुद भूखे पेट सो जाती है |
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में,
मुझे माँ की याद आती है |
कभी मुझे गुस्सा देखकर,
प्यार से सहलाकर,
कभी मुझे रोता देखकर,
अपने गले लगाकर,
आज यही यादें माँ की,
मुझे बहुत रुलाती है |
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में,
मुझे माँ की याद आती है |
आज भी वक़्त गुजरने के बाद,
कितने जुल्म सहकर,
मेरे दुःख में रोती है,
मेरी ख़ुशी में हंसकर,
उन बूढी कंपकंपाते हांथों से,
भगवान से दुवा मांगती है |
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में,
मुझे माँ की याद आती है |
Submitted By: Shiv Charan on 23 -Jan-2012 | View: 12915
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