एक प्यास कुछ ऐसी लगी मुझे
पानी तो रोज पीता हुँ मैँ...
पर आज एक प्यास कुछ ऐसी लगी मुझे,
की उसने पानी को मेरे नाम कर दिया.
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सपने तो रोज देखता हुँ मैँ...
पर आज एक सपना कुछ ऐसा देखा मैँने,
की उसने जिँदगी को मेरे हवाले कर दिया.
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उठता तो रोज हुँ मैँ...
पर आज कुछ ऐसे उठा मैँ,
की उसने कडा आत्मविश्वास मुझमे भर दिया.
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सूरत तो रोज देखता हुँ आईने मे...
पर आज एक सुरत कुछ ऐसी देखी मैँने,
की उसने सुंदरता का प्रतीक मुझको बना दिया.
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दिल तो रोज धडकता है मेरा...
पर आज एक धडकन कुछ ऐसी धडकी,
की उसने मेरी सांसो को अमर कर दिया.
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चलता तो रोज हुँ मैं...
पर आज कुछ ऐसे चला मै,
की कदमो ने मंजिल को पिछे छोड दिया.
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-वैभव
Submitted By: Vaibhav on 07 -Sep-2012 | View: 5925
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