आझादी
लम्हे की चिँगारी को आग मे बदलना सिखो,
जिँदगी मे खुद की वजह धुंडना सिखो।
ये वक्त तुम्हारा ही है, जो किसीने छिन लिया है,
अपनी आझादी की लढाई अब तुम भी लढना सिखो ।
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पनाह दो सपनो को अपने दिलो मे,
तुम खुद मे ही अपनी एक शान हो ।
एक और, एक और मौका दो खुदको,
ताकि सर आँखो पे सारा जहान हो ।
धडकनो की धुन बनाकर जीत के गीत गुनगुनाओ,
बंधे पंखो को खोलकर खुले आसमान मे उडना सिखो,
अपनी आझादी की लढाई अब तुम भी लढना सिखो ।
Vaibhav (princevaibhav75@gmail.com)
Submitted By: Vaibhav on 09 -Feb-2013 | View: 4269
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