आँख को सपने सुहाने प्यास को दरिया मिला
आँख को सपने सुहाने प्यास को दरिया मिला
एक सच्ची जुस्तजू से जिसने जो चाहा मिला
रात ने लाकर सजाया मेरी पलकों पर जिसे
वो बहुत नाज़ुक सा सपना था सुबह टूटा मिला
पंकज अंगार
8090853584
Submitted By: Vikram on 12 -Apr-2013 | View: 1470
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